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वर्मी कम्पोस्ट

९०० गावों को गोद ले भारत के कृषि विज्ञान केंद्र करेंगे पूसा डीकम्पोज़र व वर्मीकम्पोस्ट को प्रोत्साहित

९०० गावों को गोद ले भारत के कृषि विज्ञान केंद्र करेंगे पूसा डीकम्पोज़र व वर्मीकम्पोस्ट को प्रोत्साहित

देश में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके; Krishi Vigyan Kendra - KVK) द्वारा माइक्रोबियल (सूक्ष्मजीव) आधारित कृषि अपशिष्ट प्रबंधन एवं वर्मीकम्पोस्टिंग (कृमि उर्वरक; केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost)) को प्रदर्शित एवं इसको प्रोत्साहन देने हेतु ९०० गांवों को गोद लिया है। गत एक महीने में स्वछता अभियान के चलते २२ हजार से ज्यादा किसानों के समक्ष कृषि अवशेषों (पराली आदि) के सूक्ष्मजीव आधारित डीकंपोजर एवं कृषि अवशेषों व अन्य जैविक कचरे को कृमि उर्वरक में परिवर्तन से संबंधित तकनीकों को प्रदर्शित किया गया। किसानों के साथ - साथ ३००० स्कूली बच्चों में वर्मी कम्पोस्टिंग (vermicomposting) के सम्बंध में जागरूकता पैदा की गई।

वर्मी कम्पोस्ट क्या होता है ?

मृदा के स्वास्थ्य एवं फसल की पैदावार में सुधार के लिए बेहतर रूप से अपघटन के उपरांत प्रयोग किए जाने पर फसल अवशेष कीमती जैविक पदार्थ हैं। ज्यादातर फसल अवशेषों की प्राकृतिक उर्वरक बनने की प्रक्रिया की दीर्घ अवधि की वजह से किसान इसे जलाकर नष्ट करने का कार्य करते हैं। इसके परिणामस्वरूप एक कीमती संपत्ति की बर्बादी के अतिरिक्त इससे पर्यावरण भी दूषित होता है।

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कंपोस्टिंग तकनीकें “पूसा डीकंपोजर(PUSA Decomposer) जैसे कुशल सूक्ष्मजीवी अपघटक का प्रयोग करके अपघटन प्रक्रिया को तीव्र करती हैं। जिससे कम समय में अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक उर्वरक हासिल होती है। अवशेषों की राख के स्थान पर इससे बने जैविक उर्वरक मिट्टी में कार्बनिक कार्बन एवं अन्य जरूरी पोषक तत्वों को पौधों के लिए प्रदान करवाता है। साथ ही, मिट्टी में सूक्ष्मजीव आधारित गतिविधि को बढ़ावा देता है। फसल के अवशेष एवं अन्य कृषि अपशिष्ट जैसे कि गाय के गोबर एवं रसोई के कचरे आदि के आंशिक रूप से सड़ने के उपरांत इसमें केंचुओं की बेहतर प्रजातियों का उपयोग करके इन्हें कृमि उर्वरक में परिवर्तित किया जा सकता है। कृमि उर्वरक पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की भरपाई करता है, मृदा के गुणकारी सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देता है, एवं मिट्टी के स्वास्थ्य में बेहतरी करता है। साथ ही, इसके अतिरिक्त वर्मी कम्पोस्ट को बाजार में बेचकर भी मुनाफा किया जा सकता है।
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जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार अलग अलग तरह से किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। केंद्र व राज्य सरकार अलग अलग योजनाओं के तहत किसानों को भिन्न-भिन्न प्रकार की सहूलियत व सब्सिडी देकर जैविक खेती को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरह का प्रोत्साहन किसानों को दिया जा रहा है। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने बड़े स्तर पर किसानों को जैविक खेती से जोड़ने के लिए तीन किसानों को सर्वश्रेष्ठ अवार्ड देने का ऐलान भी किया गया है।

किस तरीके के किसान होंगे इस योजना के लिए पात्र

राजस्थान कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ गुण राम मटोरिया बताते हैं, कि किसान, जो पांच वर्षों से कृषि उद्यानिकी फसलों में जैविक तरीके से उत्पादन कर रहे हो तथा पिछले दो वर्षों से उनके जैविक उत्पादों का प्रमाणीकरण हो रहा हो। वैसे किसान इस योजना के लिए पात्र होंगे या उनको इस योजना के पात्रता में वरीयता दी जाएगी। इतना ही नहीं है, इसके पात्रता के लिए मटोरिया बताते हैं, कि जिन किसानों के खेत में जैविक खेती के लिए वर्मी कम्पोस्ट इकाई हो या स्वयं के द्वारा तैयार किए गए जैव कीटनाशक, जैव उर्वरक का उपयोग कर फसल उगाते हों। इसके अलावा जो भी किसान जैविक खेती संबंधी कोई नया प्रयोग करता हो या फिर राजकीय संस्थान से प्रमाणित हो वह किसान भी इस अवार्ड के लिए पात्र माने जाएंगे।


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कितने किसानों का होगा चयन

गौरतलब है, कि इस अवॉर्ड के लिए इच्छुक किसान 10 दिसंबर तक आवेदन कर पाएंगे। उनके आवेदन के बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम गठित की जाएगी जो जिले स्तर पर मिलने वाले आवेदन को देख कर एक किसान का चयन करेंगे। अलग अलग जिलों से इस अवॉर्ड के लिए तीन किसानों का चयन किया जाएगा। चयनित किसानों को एक-एक लाख का नकद इनाम भी दिया जाएगा।

जैविक खेती से है कई फायदे

राज्य व केंद्र सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नए-नए तकनीक ले कर आ रही है, जिससे किसान भी लाभान्वित हो रहे हैं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि किसानों के द्वारा लगातार रासायनिक खाद का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति कम हो जाती है। जिससे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रासायनिक खाद के प्रयोग से उगाई गयी सब्जी व फल खाने के बाद लोगों को कई बीमारी से भी गुजरना पड़ रहा है। इसलिए केंद्र व राज्य सरकार किसान व आम लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए जैविक खेती पर काफी जोर दे रही है और इस प्रकार के कई प्रोत्साहन भी किसानों को दे रही है। जिससे किसान का जैविक खेती की तरफ रुझान बढ़ सके।